नयी दिल्ली, 25 जनवरी (एजेंसी) बिहार के फोर्बिसगंज में विवादास्पद पुलिस गोलीबारी को लेकर राज्य सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है। पिछले साल जून में हुई इस घटना में चार मुस्लिम युवक मारे गए थे । अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद को लिखे गए एक पत्र में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग :एनसीएम: के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने घटना के बारे में आयोग के पूर्व के संदेश पर बिहार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहिद अली खान के जवाब पर आपत्ति जताई है । एनसीएम प्रमुख ने कहा कि खान के पत्र से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार न्यायिक आयोग के गठन का इस्तेमाल ''समूची निष्क्रियता को छिपाने के लिए'' कर रही है । विवाद उस समय शुरू हुआ जब पिछले साल सितंबर में खुर्शीद के मंत्रालय ने हबीबुल्ला द्वारा लिखा गया पत्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजा । यह पत्र एनसीएम द्वारा घटना की जांच से संबंधित रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भेजा गया था । पत्र में हबीबुल्ला ने उल्लेख किया था कि घटना के बाद राज्य में अल्पसंख्यकों का विश्वास हिल गया है । इसने पीड़ितों को मुआवजे और समुदाय के लोगों में विश्वास बहाली के लिए कई सिफारिशें की थीं । इस खत के जवाब में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गत 28 नवम्बर को खान ने खुर्शीद से कहा कि केंद्र की धारणा ''पूरी तरह गलत'' है । उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल केंद्रीय मंत्री का ध्यान कांग्रेस शासित राजस्थान में हुई सांप्रदायिक हिंसा की ओर दिलाने के लिए भी किया । खान ने जवाब में कहा ्र ''बिहार में अल्पसंख्यक ्र खासकर मुसलमान गोपालगढ़ ्र राजस्थान में दो महीने पहले हुई घटना से काफी व्यथित हैं ।'' उन्होंने मंत्री से कहा कि वह ''भयावह घटना'' पर राज्य की चिंता हबीबुल्ला को पहुंचा दें । हबीबुल्ला ने अपने पत्र में सैयद शाहबुद्दीन का लिखा एक पत्र संलग्न किया जिनकी बेटी परवीन अमानुल्ला नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं । आल इंडिया मजलिस ए मुशारत के अध्यक्ष शाहबुद्दीन ने पत्र में कहा था ्र ''इस घटना का बिहार में ही नहीं ्र बल्कि समूचे देश में समुदाय पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ेगा ।'' हबीबुल्ला ने कहा कि शाहबुद्दीन किसी भी तरह एनसीएम से नहीं जुड़े हैं और असल में वह बिहार मंत्रिपरिषद में शाहिद अली खान की सहकर्मी के पिता हैं । खान ने पूर्व में लिखा था ्र ''घटना में कुछ नहीं है ्र इसकी व्याख्या कतई इस तरह नहीं की जा सकती कि अल्पसंख्यकों से अनुचित व्यवहार किया गया जिसकी वजह से घटना हुई ।'' हबीबुल्ला ने खान के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि राज्य सरकार को मुआवजे पर अंतिम फैसला करने से पहले जांच आयोग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी होगी और कहा कि खान का पत्र जिले में विकास कार्यों को तेज गति देने की एनसीएम की सिफारिशों से संबंधित ''किसी भी संदर्भ को पूरी तरह नजरअंदाज करता है ।'' राजस्थान की सांप्रदायिक हिंसा के बारे में बिहार की चिंता से हबीबुल्ला को अवगत कराए जाने की बात पर एनसीएम अध्यक्ष ने कहा ्र ''राजस्थान सरकार ने निष्क्रियता को छिपाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच का सहारा नहीं लिया ्र बल्कि कानून के हिसाब से कार्रवाई करने के लिए आगे बढ़ी ।'' प्रेट्र से बात करते हुए हबीबुल्ला ने खान के पत्र को ''अविवेकपूर्ण जवाब'' करार दिया । पत्र में बिहार सरकार को उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मुद्दे पर किसी भी टिप्पणी से बचने के लिए एनसीएम की सिफारिशों में पहले ही सावधानी बरती गई है । एनसीएम ने अपनी सिफारिशों पर तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए 10 जनवरी को बिहार के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है । जून में गोलीबारी की घटना के तुरंत बाद हबीबुल्ला और एनसीएम सदस्य सईदा बिलग्रामी इमाम ने फोर्बिसगंज का दौरा किया था और रिपोर्ट सौंपी थी । इसमें सिफारिश की गई थी कि पीड़ित परिवारों को प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक के निर्देशों के अनुरूप मुआवजा दिया जाए । |
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