बिहार को बेच रहे हैं बिचौलिये! नीतीश खुश हैं! अखबार चुप!
बिहार को बेच रहे हैं बिचौलिये! नीतीश खुश हैं! अखबार चुप!
♦ पप्पू यादव
गया नगर निगम भ्रष्टाचार के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस निगम का उप मेयर है मोहन श्रीवास्तव। हजार बुरा आदमी मरा होगा, तो एक मोहन श्रीवास्तव पैदा हुआ होगा। राजद के शासनकाल में लालू के दो दुलारे सालों में से एक का अति निकट रहा था। बिहार के प्रसिद्ध अतुल अपहरण कांड का यह मुजरिम भी था तथा उस अपहरण कांड के कारण राजद के बाहुबली विधायक और मंत्री सुरेंद्र यादव को मंत्री पद गंवाना पड़ा था हालांकि उस मुकदमे में यह रिहा हो चुका है, लेकिन रिहाई रहस्यमय है। जज महोदय ही बेहतर जानते होंगे रिहा होने का कारण। राजद के एक मंत्री का भी यह पीए रह चुका है। पीए रहने के दरम्यान इसने करोड़ों कमाये और बाद में खुद राजनीति में आ गया। ब्यूटी पार्लर के मालिक मोहन के पार्लर में बाहर की लड़किया मालिश का काम करती हैं। राजद के एक विधायक ने बातचीत के क्रम में बताया था कि जब वे मंत्री थे, तो मोहन से उनकी निकटता का कारण कम उम्र की लड़किया थीं, जो मोहन उन्हें उपलब्ध कराता था।
पिछले चुनाव में मोहन को गया नगर से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस का टिकट मोहन को दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका कांग्रेस के एक विधायक अवधेश सिंह की थी, जो स्वयं वेश्या प्रेमी थे। अवधेश सिंह कांग्रेस के सम्मानित नेता हैं, मंत्री रह चुके हैं। बाहर से कांग्रेस के ऑब्जर्वर आये थे और उन्हें भी पैसा तथा लड़कियों से प्रसन्न किया था मोहन ने। कांग्रेस का सदस्य भी मोहन नहीं था लेकिन टिकट मिला। राजनीति में गलत आदमी कैसे आगे बढ़ते हैं, मात्र यह दर्शाने के लिए यह सब बताया मैंने।
अब भ्रष्टाचार की बात करता हूं। अभी नीतीश का बयान आया है कि अब बिचौलियों की बारी है, जैसे बाकी सब ठीक हो चुका है। बिचौलिया सिर्फ पंचायत या मुहल्ले के स्तर पर नहीं हैं। असली बिचौलिये तो नीतीश की सरकार के मंत्रियों के साथ हैं। गया में कूड़ा साफ करने का ठेका एक प्राइवेट कंपनी रैम्की को मिला है। शहर से कितना कूड़ा उठाया गया, उसके वजन के आधार पर भुगतान होता है। साल में तकरीबन चार–पांच करोड़ का भुगतान उक्त कंपनी को नगर निगम करता है। कंपनी भुगतान के एवज में बीस प्रतिशत सिर्फ मेयर और उप मेयर को देती है। यह पैसा कूड़े के वजन को बढ़ाकर दिखाने से प्राप्त होता है।
निगम ने शहर में जगह–जगह पर हाइ मास्ट यानी रोशनी देनेवाले बड़े-बड़े बिजली के मिनारनुमा पोल लगाये हैं। हर सड़क पर, गली में वैपर लाइट लगायी गयी है। तकरीबन एक करोड़ के सामान की खरीद नगर निगम ने ठेकेदार से किया, लेकिन जानबूझकर ठेके की शर्त में एक प्रावधान ऐसा डाला गया कि ठेका एक विशेष फर्म को ही प्राप्त हो। उस फर्म के बेनामी यानी ऊपरी पार्टनर जिनका नाम किसी कागजात मे नहीं है, मोहन श्रीवास्तव भी हैं। और बिचौलिये की भूमिका निभाने का काम एक महिला पार्षद का पति अनिल शर्मा करता है, जिसके नीतीश सरकार के मंत्रियों से अच्छे संबंध हैं। इस टेंडर की खासियत यह है कि अगर इमानदारी से टेंडर निकलता और पक्षपात नहीं होता, तब तीस लाख रुपये की बचत सरकार को होती। 2100 के एक सामान को 2900 रुपये में नगर निगम खरीद रहा है। दूसरे ठेकेदार 2100 में देने के लिए तैयार हैं, अपना प्रस्ताव भी निगम को दे चुके हैं। इस सौदे में निगम आयुक्त, कार्यकारी अभियंता हरे कृष्ण, सहायक अभियंता विनोद कुमार, उप मेयर मोहन श्रीवास्तव तथा मेयर ने पैसे लेकर जानबूझकर सभी टेंडर को रद्द करते हुए एक टेंडर स्वीकार किया।
नगर निगम ने एक करोड़ के ट्रैक्टर की खरीद की। इस सौदे में भी बीस लाख रुपये का भुगतान नगर निगम के मेयर, उप मेयर तथा सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के बीच हुआ। मैंने जब इस मामले पर लिखा, तो तत्कालीन नगर आयुक्त ने एक बार कहा, मुझसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल हुई।
पहले भी तीन लाख के जेनरेटर सेट को नौ लाख रुपये में गया नगर निगम खरीद चुका है।
इस तरह के सैकड़ों मामले हैं, लेकिन नीतीश कुमार को शिकायत करने के बावजूद कुछ नहीं होता है। हमारे पास ऑडियो तथा वीडियो साक्ष्य उपलब्ध है, लेकिन उसे तभी हम देंगे, जब सरकार विजिलेंस जांच कराने की घोषणा करें। नीतीश अखबारों के द्वारा भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं।
(राजेश रंजन पप्पू यादव। इन दिनों पटना के बेऊर जेल में हैं। देशकाल समाज की परिस्थितियों पर लगातार जेल डायरी लिख रहे हैं। उनका लिखा हम समय समय पर मोहल्ला लाइव में प्रकाशित करते रहे हैं।)
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