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Thursday, December 15, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/12/16
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


मध्यप्रदेशःआईटीआई से मिलेगा पॉलीटेक्निक में दाखिला

Posted: 14 Dec 2011 11:33 PM PST

इंड्रस्टियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) कर चुके छात्रों को अब काउंसलिंग के माध्यम से पॉलीटेक्निक के तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश मिलेगा। इसकी काउंसलिंग आगमी सप्ताह से की जाएगी। पॉलीटेक्निक की दो हजार सीटों पर प्रवेश लेने वाले छात्रों को कुछ विशेष विषयों का अध्ययन करना होगा। ताकि उन्हें आगामी पढ़ाई में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े। तकनीकी शिक्षा विभाग ने आईटीआई से पॉलीटेक्निक के द्वितीय वर्ष में सीधे प्रवेश कराने के लिए लेटरल एंट्री काउंसलिंग की रूपरेखा तैयार कर ली है। शासन की मंजूरी मिलते ही तकनीकी शिक्षा विभाग काउंसलिंग का टाइम टेबिल तैयार कर प्रवेश कराएगा। इसके बाद छात्र यह काउंसलिंग 20 दिसंबर से शुरू हो सकती है। विभाग प्रदेश 67 पॉलीटेक्निक की करीब दस हजार सीटों के बीस प्रतिशत पर प्रवेश कराएगा, जिसमें करीब दो हजार सीटों होंगी। छात्रों को मेरिट के आधार पर प्रवेश दिए जाएंगे। इसमें उन्हें कुछ रिमेडियल विषयों का अध्ययन करना होगा। यह वह विषय हैं, जिन्हें छात्रों को आईटीआई में नहीं पढ़ाया जाता। लेकिन पॉलीटेक्निक में इनकी आवश्यकता होती है। ताकि अध्ययन के दौरान उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े। यह थी जरूरत आईटीआई के बाद छात्र पॉलीटेक्निक करने प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेते हैं। पॉलीटेक्निक के प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर में वहीं अध्ययन कराया जाता है, जो वह आईटीआई में कर चुका होता है। इससे छात्र का एक साल बेकार हो जाता है। इसलिए छात्रों का साल बचाने विभाग ने काउंसलिंग कर पॉलीटेक्निक के तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश देने का इंतजाम किया है। रास्ता बना इंजीनियरिंग का पुल विभाग के रस्ते आईटीआई छात्रों को एक पुल बना दिया है। पॉलीटेक्निक करने के बाद छात्र लेटरल एंट्री के माध्यम से बीई के द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले सकेंगे। इस तरह छात्र किसी परीक्षा में फेंल नहीं होता है, तो आईटीआई करने के बाद छात्र पॉलीटेक्निक में दो साल देने के बाद वह तीन में इंजीनियरिंग कर सकता है(विकास जैन,दैनिक जागरण,भोपाल,15.12.11)।

मध्यप्रदेशःविद्यार्थी स्वयं नहीं जांचेंगे उत्तर-पुस्तिकाएं

Posted: 14 Dec 2011 11:32 PM PST

दसवीं-बारहवीं के अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा के पैटर्न को शिक्षकों के दबाव में बदल दिया गया है। अब बच्चे परीक्षा के दिन मॉडल उत्तर व स्वयं की उत्तरपुस्तिकाएं नहीं जांचेंगे। परीक्षा शुरू होने के दिन ही प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने परीक्षा के पैटर्न बदलने के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार दसवीं-बारहवीं बोर्ड की अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा बुधवार से शुरू हुई। लोक शिक्षण के परीक्षा के नए पैटर्न में इस बार प्रश्न पत्र पहली बार माध्यमिक शिक्षा मंडल ने मुहैया कराए हैं। अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा सुबह दस से एक बजे तक होगी। इसी दिन आधे घंटे के लंच के बाद छात्रों को मॉडल उत्तर लिखवाने थे। इसके बाद छात्र स्वयं अपनी उत्तर पुस्तिका चेक कर नंबर देंगे, फिर शिक्षकों को कापी जांचना थी, लेकिन इसके विरोध में शिक्षक उतर आए। प्रांतीय शालेय व्याख्याता एवं प्राचार्य संघ ने एक ही दिन में परीक्षा व मॉडल उत्तर लिखने के निर्णय को अव्यवहारिक मानते हुए प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रजनीश वैश्य से मुलाकात की। प्रमुख सचिव ने संघ के पत्र पर तत्काल प्रभाव से परीक्षा का पैटर्न परिवर्तित करते हुए सिर्फ छात्रों की परीक्षा कराने के निर्देश दिए हैं। हालांकि उक्त निर्देश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा कि अब सिर्फ छात्रों की परीक्षा आयोजित की जाएगी। आगामी परीक्षा पुराने पैटर्न पर ही संचालित होगी(दैनिक जागरण,भोपाल,15.12.11)।

मध्यप्रदेशःऑनलाइन प्रवेश कराने कालेजों को मिलेगा कम्प्यूटर

Posted: 14 Dec 2011 11:30 PM PST

आनलाइन प्रवेश कराने के लिए कम्प्यूटर विहीन कालेजों का उच्च शिक्षा विभाग कम्प्यूटर उपलब्ध कराएगा। इसके तहत प्रदेश के 333 कालेजों और समस्त विश्वविद्यालय को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा फायदा पिछड़े और सुविधाविहीन कालेजों को मिलेगा। प्रदेश में विगत तीन साल में ग्रामीण क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा कालेज स्थापित किए गए हैं। शासन इन्हें स्थापित करने के बाद भूल गया है। उन्हें कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, एक दर्जन कालेज के पास कम्प्यूटर तक नहीं हैं। विभाग ने आनलाइन प्रवेश कराने के लिए कालेजों को कम्प्यूटर दिलाने की व्यवस्था की है। विभाग ने कहा कि कालेज अपने बजट से कम्प्यूटर क्रय करें। यदि उनके पास पर्याप्त बजट नहीं है, तो उन्हें विभाग कम्प्यूटर उपलब्ध कराएगा। वहीं कुछ कालेजों ने आपत्ति दर्ज कराई थी कि इतनी संख्या में कैसे प्रवेश होंगे। तब विभाग ने प्राचार्यो से कहा था कि कम्प्यूटर पर आपरेटर होंगे, जो हरेक छात्र के दस्तावेज देख प्रवेश करेगा। पिछले वर्ष सभी इंतजाम होने के बाद भी शासन आनलाइन प्रवेश नहीं करा सका था। 


कम होगा पेपर वर्क : 
प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने के बाद छात्रों का डाटा अंतिम वर्ष तक काम आता है। आनलाइन प्रवेश होने से उनकी समस्त जानकारी एक समय में विभाग के पास आ जाएगी। इसका उपयोग विभाग कभी भी कर सकता है। उन्हें बार-बार कालेजों को सूचित कर जानकारी मांगने की आवश्कता नहीं होगी। वहीं आनलाइन होने से अधिक दस्तावेजों की जरूरत नहीं होगी। इससे कई नस्तियां रजिस्टर और फीस रसीद से मुक्ति भी मिलेगी। वहीं छात्रों को फीस जमा करने के लिए कतार में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। वह घर बैठे ही डेविड और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से समस्त प्रकार की फीस का भुगतान कर सकेगा(दैनिक जागरण,भोपाल,15.12.11)।

मध्यप्रदेशःनिजी विश्वविद्यालयों पर लागू होगा आरक्षण

Posted: 14 Dec 2011 11:24 PM PST

निजी विश्वविद्यालय प्रवेश और फीस लेने में मनमानी नहीं कर पाएंगे। इसकी जानकारी उन्हें बुधवार को कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की निजी विश्र्वविद्यालय विनियामक आयोग की सामूहिक बैठक में मिल गई है। विश्वविद्यालयों में जहां प्रवेश चयन परीक्षा से किए जाएंगे वहीं उन्हें आरक्षण के रोस्टर का पालन करना होगा। ताकि सभी वर्ग के छात्रों को विश्वविद्यालय की अध्ययन व्यवस्था का लाभ मिल सके। शासन ने नौ निजी विश्वविद्यालय को नोटिफिकेशन दिया है। इनमें से कुछ ने मोटी-मोटी रकम लेकर मनमर्जी से प्रवेश कराए हैं। निजी विश्र्वविद्यालयों की इन हरकतों पर नकेल कसने के लिए निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने बुधवार को समस्त विवि के कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की बैठक बुलाई। बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी सत्र से सभी विवि की मॉनिटरिंग की जाएगी जिसके वर्किंग पेपर जेपी विश्र्वविद्यालय तैयार करेगा। जेपी विवि जनवरी में सभी पेपर आयोग के सुपुर्द करेगा। बैठक में बताया गया कि विवि की फीस जीरो बैलेंस शीट के आधार पर होगी। लेकिन इसमें 10 से 15 प्रतिशत सरप्लस होगा। ताकि विवि विकास कार्य कर सकें। इससे ज्यादा लाभ अर्जित करता है, तो आयोग विवि पर कठोर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। सरप्लस मिलने से विवि की फीस सामान्य कालेजों से ज्यादा होना तय हैं। सभी विवि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद जैसे समस्त प्रकार की राष्ट्रीय स्तर की परिषद के मापदंडों का पालन करेंगे। विश्र्वविद्यालय कैसे प्रवेश कराएंगे इस पर अभी संशय हैं। विवि ने कहा कि हम प्रवेश मेरिट सूची के आधार पर कराएंगे। हम कौन किस संस्थान की मेरिट चाहते हैं इसका निर्णय अंत समय में लिया जाएगा। इसकी सूचना आयोग को जरूर दी जाएगी। वहीं प्रवेश में शासन द्वारा तैयार किया गया आरक्षण रोस्टर का पालन भी विवि करेंगे। ताकि समाज के सभी वर्गो के छात्रों को निजी विवि में मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिल सकें। वहीं प्रोफेशनल कोर्स में छात्रों को शासन से मिलने वाली छात्रवृत्ति मिलेगी। बैठक में कुछ विवि में कुलपति और रजिस्ट्रार का चयन नहीं हो पाया है, जिसके कारण विवि के सीईओ को बैठक में आमंत्रित किया गया। बैठक में विवि से आगामी सत्र में फीस निर्धारण को लेकर कुलपतियों और कुलसचिव से चर्चा की गई। इसमें बैठक में सभी विवि से फीस निर्धारण की जानकारी ली गई। इसमें आईटीएम ग्वालियर के कुलपति आरके पांडे ने कहा कि वे विवि में चार बिंदुओं पर कार्य करेंगे इसमें शोध, शिक्षा और समाज के दूसरे वर्गो को जोड़कर उन्हें साक्षर करना हैं। आयोग के अध्यक्ष अखिलेश पांडे ने कहा कि विवि में फीस सामान्य कालेजों से अधिक होगी, लेकिन इसमें छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलेगी। वहीं ओरियंटल विवि के कुलपति ने अपनी बात आयोग के सामने रखी(दैनिक जागरण,भोपाल,15.12.11)।

यूपीःशिक्षक भर्ती का जिन्न नहीं छोड़ रहा पीछा

Posted: 14 Dec 2011 11:22 PM PST

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के जिन्न को बेसिक शिक्षा विभाग बोतल में बंद नहीं कर पा रहा है। बीएड डिग्रीधारकों को परिषदीय स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की कवायद पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी, लेकिन सवा साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई है। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर गफलतों का सिलसिला लगातार जारी है और इस कवायद से बेसिक शिक्षा विभाग का पिंड छूटता नहीं दिख रहा। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में रिक्त 80,000 पदों पर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को अक्टूबर 2010 में प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इसे शासन की स्वीकृति इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि तब राज्य में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की नियमावली अधिसूचित नहीं थी। नियमावली अधिसूचित न होने के कारण राज्य सरकार को यह आशंका थी कि कहीं शिक्षकों के वेतन पर होने वाले खर्च में केंद्र अपनी हिस्सेदारी से हाथ न खींच ले। शिक्षा के अधिकार पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 65:35 के अनुपात में है। 27 जुलाई 2011 को कैबिनेट द्वारा उप्र नि:शुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 को मंजूरी देने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति के मामले ने तेजी पकड़ी। 14 सितंबर को कैबिनेट ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी। उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 के नियम 14 के तहत परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति गृह जिले में करने का प्रावधान है, लेकिन 72,825 पदों पर अर्हताधारी बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति के लिए कैबिनेट ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी उसमें अभ्यर्थियों को एक के बजाए तीन जिलों में आवेदन का विकल्प दे दिया गया। जब 30 नवंबर को शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने विज्ञापन प्रकाशित किया तो उसमें अभ्यर्थियों को पांच जिलों में आवेदन का विकल्प दे दिया गया। इसी विज्ञप्ति को हाई कोर्ट ने रद करने का आदेश दिया है। 14 सितंबर को हुए कैबिनेट के फैसले के आधार पर 27 सितंबर को जो शासनादेश जारी किया गया उसमें सिर्फ बीएड डिग्रीधारकों को ही नियुक्ति के योग्य माना गया था, लेकिन बाद में शासन ने नियुक्ति के लिए टीईटी उत्तीर्ण बीटीसी 2004 और विशिष्ट बीटीसी 2007 व 2008 का प्रशिक्षण हासिल कर चुके उन अभ्यर्थियों को भी भर्ती के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी जिन्हें नियुक्त नहीं किया जा सका था। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अब दबी जुबान स्वीकार कर रहे हैं कि बीएड डिग्रीधारकों के साथ बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण हासिल करने वालों को आवेदन की छूट देने की वजह से ही यह समस्या पैदा हुई। वजह यह है कि राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक अर्हता स्नातक व बीटीसी है। बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर चुके अभ्यर्थी को उसी जिले में नियुक्त करने की व्यवस्था है जहां से उसने बीटीसी ट्रेनिंग की हो। गफलतों का यह सिलसिला शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर भी बरकरार रहा। टीईटी के संबंध में पहला शासनादेश सात सितंबर को जारी हुआ और 15 दिनों के अंदर इसमें तीन संशोधन हुए(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,15.12.11)।

यूपीःदूरस्थ शिक्षा सेबीएड करने वाले भर सकेंगे नियुक्ति का फार्म

Posted: 14 Dec 2011 10:45 PM PST

हाई कोर्ट ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक की नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र भरने की अनुमति प्रदान की है। न्यायालय ने एनसीटीई के वकील व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मिठाई लाल व अन्य की स्पेशल अपील पर यह आदेश दिया। याचीगण का तर्क है कि उन लोगों ने बीएड की डिग्री राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन मुक्त विश्र्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने टीईटी शिक्षक पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण की। याचीगणों ने अदालत को यह जानकारी भी दी कि राजर्षि टंडन मुक्त विश्र्वविद्यालय को एनसीटीई की मान्यता भी हासिल है। सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने याचीगण को फार्म भरने की अनुमति देते हुए कहा कि उक्त आदेश इस मामले को लेकर दायर अपील के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी, 2012 नियत की है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,15.12.11)।

यूपीःशिक्षक नियुक्ति को तीन दिन बढ़ेगी आवेदन की अंतिम तारीख

Posted: 14 Dec 2011 10:44 PM PST

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन की अंतिम तारीख तीन दिन बढ़ाई जाएगी। इस हिसाब से आवेदन की अंतिम तारीख 22 दिसंबर होगी। विभाग की ओर से संशोधित विज्ञप्ति गुरुवार को जारी हो सकती है, जिसमें अभ्यर्थियों को छूट दी जाएगी कि वह जितने भी जिलों में चाहें आवेदन कर सकते हैं। यह जानकारी बुधवार को सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने दी। कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परिषद द्वारा 30 नवंबर को प्रकाशित की गई विज्ञप्ति को रद करने का आदेश दिया था। इस आधार पर कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों को पांच जिलों में आवेदन का विकल्प देना उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों के विपरीत, असंगत और अतार्किक है।

शासन को सौंपा संशोधित प्रस्ताव
बुधवार को कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद बेसिक शिक्षा निदेशालय से लेकर शासन तक सरगर्मी शुरू हुई। सचिव बेसिक शिक्षा ने बताया कि चूंकि हाई कोर्ट ने पांच जिलों में आवेदन के विकल्प को असंगत व अतार्किक करार दिया था, इसलिए संशोधित विज्ञप्ति में अभ्यर्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे अपनी मर्जी के मुताबिक जितने जिलों में चाहें आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को संशोधित प्रस्ताव उपलब्ध करा दिया है। अदालत के आदेश देने की तारीख और गुरुवार को जारी की जाने वाली संशोधित विज्ञप्ति के बीच तीन दिन का अंतराल है। लिहाजा संशोधित विज्ञप्ति में आवेदन की अंतिम तारीख तीन दिन बढ़ायी जाएगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,15.12.11)।

यूपी बोर्ड की परीक्षाएं एक मार्च से

Posted: 14 Dec 2011 10:42 PM PST

माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपीबोर्ड) ने बुधवार को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं का विस्तृत कार्यक्रम घोषित कर दिया। दोनों परीक्षाएं एक साथ एक मार्च-2012 से शुरू होंगी। हाईस्कूल 21 मार्च, जबकि इंटर की परीक्षाएं 4 अप्रैल तक चलेंगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा घोषित परीक्षा कार्यक्रम के अनुसार हाईस्कूल की परीक्षाएं 14 व इंटरमीडिएट की 25 कार्यदिवसों में होंगी। परीक्षा का समय प्रात: 7.30 से 10.45 बजे व अपरान्ह 2 से 5.15 बजे रखा गया है। हाईस्कूल का प्रथम पेपर गणित, प्रारंभिक गणित व प्रारंभिक विज्ञान का होगा, जबकि इंटरमीडिएट का पहला पेपर सैन्य विज्ञान, भौतिक विज्ञान व व्यापारिक संगठन व पत्र व्यवहार का होगा। इस बार हाईस्कूल में 36,82,421, जबकि इंटरमीडिएट में 26,36,817 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं। पिछले साल की तुलना में छात्र संख्या के लिहाज से हाईस्कूल में 78,564 व इंटर में 5,80,139 परीक्षार्थियों की वृद्धि हुई है। परीक्षा सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेशभर में 9000 से भी अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं एक साथ 17 मार्च 2011 से शुरू होकर हाईस्कूल की 6 अप्रैल व इंटरमीडिएट की 10 अप्रैल को समाप्त हुई थीं(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,15.12.11)।

पंजाबःशून्य पाने वाला अभ्यर्थी पीसीएस-जे में पास

Posted: 14 Dec 2011 10:36 PM PST

पंजाब लोक सेवा (न्यायिक) की प्राथमिक परीक्षा में शून्य अंक पाने वाला आरक्षित वर्ग का एक अभ्यर्थी पास हो गया। इसी के साथ उसने मुख्य परीक्षा में भाग लेने की पात्रता प्राप्त कर ली है। मुख्य परीक्षा अगले माह है। तेजिंदर सिंह पंजाब सिविल सेवा (न्यायिक) मुख्य परीक्षा के लिए उत्तीर्ण हो चुका है। वह एससी एलडीईएसएम (शेड्यूल कास्ट लीनियल डिसेंडेंट्स ऑफ एक्स सर्विसमैन)श्रेणी का छात्र है। उसे पीसीएस (न्यायिक) प्रारंभिक परीक्षा में शून्य से दस अंक कम प्राप्त हुए थे। अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के चयन के लिए हुई परीक्षा में सिंह ने 23 प्रश्नों के सही जवाब दिए जबकि उसने 102 प्रश्नों के गलत उत्तर दिए। इस श्रेणी में छह परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए और सबसे ज्यादा 285 अंक मनजिंदर कौर को प्राप्त हुआ है। परीक्षा का आयोजन हाल ही में पटियाला स्थित पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) ने आयोजित किया था और आयोग की वेबसाइट पर परिणाम दे दिया गया है। पीसीएस (जे) मुख्य परीक्षा के लिए 13 विभिन्न श्रेणियों के 979 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं, जो 10 जनवरी 2012 को होने वाली मुख्य परीक्षा में बैठेंगे। इस परीक्षा के माध्यम से न्यायिक सेवा के रिक्त 110 पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं। उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा के लिए कट ऑफ आरक्षित वर्ग के लिए माइनस दस रही, जबकि सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम आंकड़ा 315 रहा है। न्यायिक अधिकारी के 47 पदों के लिए 471 अभ्यर्थियों को चुना गया है। इस परीक्षा के लिए दूसरी सबसे कम कट ऑफ खिलाडि़यों के कोटे की रही है, जो कि 54 अंक रही है। इस कोटे की चार सीटों के लिए 54 लोगों को मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए चुना गया है। 265 अंकों के साथ परीक्षा में दूसरी सबसे ज्यादा कट ऑफ अनुसूचित जाति वर्ग की रही। इस वर्ग के लिए आरक्षित नौ पदों के लिए 90 अभ्यर्थियों को चुना गया है। 251 अंकों के साथ पिछड़ा वर्ग तीसरे स्थान पर रहा। इस वर्ग के 90 लोगों को मुख्य परीक्षा के लिए चुना गया,इनमें नौ पहले से ही नौकरी कर रहे हैं। पंजाब लोक सेवा आयोग के अधिकारी इस पर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,15.12.11)।

छह साल से पहले न शुरू हो बच्चों की स्कूली शिक्षा

Posted: 14 Dec 2011 10:36 PM PST

छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं होने की वकालत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरे देश में नर्सरी में दाखिले की उम्र में एकरूपता लाने के लिए सांसदों और राज्य सरकारों से सहयोग मांगा है। सिब्बल ने कहा कि बगैर सहयोग के शिक्षा क्षेत्र में सुधार मुमकिन नहीं है। बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेंद्र रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि सीबीएसई के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक गांगुली ने दिल्ली च्च्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर नर्सरी में दाखिले से जुड़े विषयों पर 31 मार्च 2007 को रिपोर्ट पेश कर दी थी। उन्होंने कहा कि समिति ने सिफारिशों में कहा था कि नर्सरी में दाखिले के लिए च्च्चे को चार वर्ष की उम्र पूरी करना चाहिए। दिल्ली की सरकार ने इस सिफारिश को मान लिया। सिब्बल ने कहा कि नर्सरी और प्राथमिक कक्षा में दाखिले की निगरानी राज्य सरकार की ओर से की जाती है। इस कारण केंद्र इसमें दखल नहीं करती है। नर्सरी में बच्चों का दाखिला कराने में अभिभावकों को पेश आ रही परेशानी और निजी स्कूलों की ओर से इसे धन कमाने का माध्यम बनाए जाने पर सदस्यों की चिंताओं पर मंत्री ने कहा कि दो-तीन वर्ष के च्च्चों पर स्कूली बस्ते का बोझ डालना गलत है। इस विषय में दाखिले की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए सदस्य संसद में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास करें तभी आगे बढ़ा जा सकता है। लेकिन तब राज्य इसमें बाधा नहीं डालें। सिब्बल ने कहा कि उनका मानना है कि छह वर्ष से पहलेच्बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पहलेच्बच्चों के खेलने की उम्र होती है। कई राज्यों में यह उम्र पांच वर्ष है। इस पर कुछ सदस्यों ने कहा कि सिब्बल शिक्षा में सुधार की जल्दबाजी में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतना चाहते है। सिब्बल ने कहा कि विपक्षी सदस्य दौड़ शुरू ही नहीं करने दे रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.11)।

दसवीं पास नहीं होने पर भी नौकरी देगी रेलवे

Posted: 14 Dec 2011 10:34 PM PST

दसवीं पास नहीं होने पर भी रेलवे में नौकरी मिल सकेगी। रेलवे बोर्ड ने देश भर में करीब 30 से 40 हजार लोगों के लाभांवित होने के दृष्टिगत यह अहम फैसला किया है।

जिन लोगों की डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मामले में भूमि अधिग्रहण की गई है और जो लोग अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले है एवं संरक्षा संबंधी सेवा में रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पा चुके हैं ऐसे कर्मचारियों के आश्रितों को दसवीं पास किए बिना ही नौकरी पर लिया जा सकेगा।इन्हें तब तक ग्रेड-पे का लाभ नहीं मिलेगा जब तक वह दसवीं पास नहीं कर लेते।

नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के मंडल सचिव मुकेश माथुर ने बताया कि यूनियन की मांग पर रेलवे बोर्ड ने यह कदम उठाया है। दसवीं पास किए बिना ही आश्रितों को 5200 से 20200 वेतनमान पर रखा जाएगा। यूनियन लंबे समय से इस मांग को उठाती रही है। हालांकि बोर्ड के इस फैसले से यूनियन पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।

यूनियन की मांग है कि फिलहाल ग्रेड-पे का भी लाभ मिलता रहना चाहिए। ताकि परिवार को आर्थिक हानि ना हो।


ग्रेड पे का नहीं मिलेगा लाभ 

बोर्ड के फैसले के अनुसार जब तक आश्रित दसवीं पास नहीं कर लेते उन्हें ग्रेड-पे का लाभ नहीं मिल सकता। दसवीं पास करने के बाद ही अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। तब तक आश्रित प्रशिक्षु के तौर पर काम कर सकेंगे। बोर्ड के इस निर्णय में यह स्पष्ट नहीं है कि प्रशिक्षु कर्मचारी को कितने वर्षो में उत्तीर्ण करना होगा। 

30 से 40 हजार लोगों को मिलेगा लाभ 

बोर्ड के इस फैसले से देश भर में करीब 30 से 40 हजार लोगों को इसका लाभ मिलेगा। सबसे ज्यादा लाभ उन्हें मिलेगा जिनकी जमीन डीएफसीसी द्वारा अधिग्रहण की गई है।। पूर्व में निर्णय लिया गया था कि जिन लोगों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है ऐसे लोगों के परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी प्रदान की जाएगी। 

वहीं अनुकंपा के आधार पर व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पाने वाले कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को भी इस निर्णय का लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में बोर्ड ने दसवीं पास को ही नौकरी देने की बात कही थी। 

बोर्ड का कदम सराहनीय 

रेलवे बोर्ड का यह कदम सराहनीय है। लेकिन यूनियन बोर्ड के निर्णय से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इस निर्णय से देश भर में हजारों लोगों को इसका लाभ होगा। 

मुकेश माथुर, मंडल सचिव एनडबल्यूआरईयू(दैनिक भास्कर,अजमेर,15.12.11)

दिल्लीःमंदी के शोर में भी आठ हजार को मिलेगा जॉब

Posted: 14 Dec 2011 10:32 PM PST

भले ही इन दिनों अर्थव्यवस्था में मंदी का शोर सुनाई दे रहा हो, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में रोजगार की भरमार है। राजधानी में लगभग करीब १क्क् छोटी-बड़ी कंपनियां हाथ में एप्वाइंटमेंट लेटर लिए होनहार कर्मचारियों को ढूंढ रही हैं। नौकरियां देने वालों में टाटा व वोल्टॉस जैसी बड़ी भारतीय और हिताची जैसी विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं। बुधवार को इन कंपनियों ने महज एक घंटे में २४ युवाओं को नियुक्ति पत्र दे दिए। ये सभी नियुक्तियां सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी हैं। इसके अलावा, अब अगले दो दिनों में ही करीब 8500 और नौकरियां भी दी जानी हैं।


कथित मंदी के इस दौर में दिल्ली में अब तक का सबसे बड़ा कैंपस प्लेसमेंट बुधवार को शुरू हुआ। स्वयं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने माना कि रोजगार का यह मेला अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है और दिल्ली में इससे पहले कभी एक स्थान पर एक साथ इतनी नौकरियां नहीं दी गईं। साथ ही, शीला दीक्षित ने कपंनियों से बातचीत के बाद यह भी बताया कि अभी भी देश में दक्ष कर्मचारियों की मांग बरकरार है। यह प्लेसमेंट आईटीआई पूसा में शुरू किया गया है। अब 14,15 व 16 दिसंबर, यानि महज तीन दिन में यहां 8500 से अधिक रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगें। इनमें से 6000 हजार रोजगार आईटीआई से प्रशिक्षित युवाओं के लिए है। इनका साक्षात्कार आईटीआई कैंपस में ही होगा और साक्षात्कार में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों को वहीं नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है। आईटीआई के अलावा 2500 नौकरियां पॉलिटेक्निक कर चुके अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रखी गई हैं।

खास बात यह है कि कैंपस में युवाओं को न केवल नौकरियां दी जा रही हैं, बल्कि इन्हें मिलने वाला पैकेज भी पहले की तुलना में कहीं बेहतर है। दिल्ली सरकार में प्रशिक्षण एवं तकनीकी विभाग के प्रधान सचिव आनंद प्रकाश के मुताबिक आईटीआई के दो छात्र तो इस समय एक-एक करोड़ रुपए का पैकेज प्राप्त कर रहे हैं। कैंपस प्लेसमेंट के मौके पर सरकार ने इन दोनों छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित भी किया। 

बाजार की मांग के अनुरूप बने हैं पाठ्यक्रम:
दिल्ली में रोजगार बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है कि यहां तकनीकी शिक्षा केंद्रों में दी जाने वाली शिक्षा एवं प्रशिक्षण बाजार की मांग के अनुरूप हैं। पाठ्यक्रम तैयार करने में सरकार विभिन्न औद्योगिक संगठनों से मदद लेती है। औद्योगिक संगठनों की मांग व राय के अनुरूप आईटीआई व पॉलीटेक्निक के कई कोर्स डिजाइन किए गए हैं। दिल्ली में फिलहाल ७९ आईटीआई व ७५ व्यवसायिक प्रशिक्षण सुधार परियोजनाएं हैं, जिनके तहत ७५ विभिन्न पेशों में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। शायद यही कारण है कि बुधवार से शुरू हुए रोजगार के इस महामेले में नौकरी चाहने वाले युवाओं की पौ बारह रही। यहां एक से अधिक अवसर होने के कारण इन युवाओं के पास अपनी पसंद की कंपनियां चुनने का भी मौका है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,15.12.11)।

लोकपाल में आरक्षण की मांग पर संसद परिसर में धरना

Posted: 14 Dec 2011 10:31 PM PST

लोकपाल के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक से पहले लोकपाल में आरक्षण की मांग करते हुए दोनों सदनों के विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सदस्यों ने बुधवार को संसद परिसर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। गौरतलब है कि आरक्षण की मांग को लेकर लोकसभा और राज्यसभा के 165 सदस्यों का हस्ताक्षरित ज्ञापन कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री को सौंपा गया था। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान इसे मुद्दा बनाए हुए हैं। इस सवाल पर गुरुवार को भी संसद के सामने धरने का आयोजन किया गया है। धरने के बाद लोजपा अध्यक्ष पासवान ने पत्रकारों से कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति फोरम की ओर से हमने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है। हम लोकपाल में आरक्षण के प्रावधान की मांग कर रहे हैं। आशंका है कि संसद से बाहर का कोई व्यक्ति या समूह इस तरह का कानून बनाने का दबाव डालने के बाद आरक्षण को समाप्त करने की साजिश करेगा। पासवान ने कहा कि यह मांग माननी ही होगी। इसके समर्थन में 165 सांसद हैं जो किसी भी प्रस्ताव को रद कराने या मंजूर कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। माकपा के डी. राजा ने कहा कि दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों के बड़ी संख्या में सदस्यों ने यह मांग रखी है। उम्मीद है सरकार इन न्योचित मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी। यह कोई निजी नहीं है, बल्कि देश की एक बड़ी आबादी की चिंताओं से जुड़ा मसला है।कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि हमारी मांग देश की करीब एक तिहाई आबादी को न्याय दिलाने के लिए है। हम यह संकल्प व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए हैं। धरना देने वाले संासदों ने लोकपाल में आरक्षण का प्रावधान करने के अलावा न्यायपालिका और निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति की योजनाओं में पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित किए जाने की भी मांग की(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.11)।

दिल्ली में नर्सरी दाखिला: गांगुली कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार की हां

Posted: 14 Dec 2011 10:27 PM PST

नर्सरी दाखिले में उम्र की सीमा को लेकर दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट को जानकारी दी कि उसने प्री प्राइमरी और पहली कक्षा में बच्चों के दाखिल संबंधी गांगुली कमेटी रिपोर्ट की सिफारिशों को मान लिया है। कैबिनेट ने सितंबर माह में हुई बैठक में गांगुली कमेटी सिफारिशों पर विचार करने के बाद उसे स्वीकार करते हुए प्री-प्राइमरी और पहली कक्षा में दाखिल के लिए ४ प्लस और ५ प्लस तय कर दी है।

कार्यकारी चीफ जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय एंडला की खंडपीठ के समक्ष शिक्षा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक शशि कौशल की ओर से दायर हलफनामा में यह बात कही गई। इसी के साथ, खंडपीठ ने बच्चों के दाखिले संबंधी दायर जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए २१ दिसंबर की तारीख तय की। 


निदेशालय की तरफ से कहा गया कि शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधानों पर विशेषज्ञों और स्टेक होल्डरों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद प्री स्कूल में दाखिले की गाइडलाइंस तय की जा सकती है। वह स्कूली पढ़ाई के मामले में अपने 2007 के अपने हलफनामे को ही पूरी तरह से ताकीद करते हैं। चूंकि, तीन साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल और प्री-नर्सरी का हिस्सा है, इसके लिए सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत अलग से दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट जो आदेश देगी उसे मंजूर होगा, लेकिन इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसें निजी स्कूल की ओर से लगाया गया है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,15.12.11)।

हिमाचलःशिक्षकों को 45 साल बाद मिलेगी बैच वाइज नौकरी!

Posted: 14 Dec 2011 10:26 PM PST

45 साल के बाद शिक्षक बनने की हसरत पाले लोगों को फिर से नौकरी प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है। इस मुद्दे पर प्रदेश मंत्रिमंडल की वीरवार को होने वाली बैठक में चर्चा होगी। मंत्रिमंडल की तरफ से यदि इस मामले को स्वीकृति प्रदान की जाती है तो प्रदेश में बैच वाइज भर्ती के लिए एकमुश्त छूट मिल सकती है। पहले भी भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी) नियमों में ऐसी छूट दी गई थी और अब सरकार फिर से एकमुश्त छूट देने को तैयार है।

इसलिए पलटना पड़ेगा निर्णय

बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया में 45 साल बाद नौकरी देने के लिए सरकार को इसलिए बाध्य होना पड़ा है, क्योंकि प्रदेश स्तर पर एलटी और शास्त्री के पदों को भरने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, सोलन और मंडी जिला में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जबकि शेष जिलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है।


इस भर्ती प्रक्रिया में इंटरव्यू के लिए 45 साल से ऊपर के उम्मीदवारों को भी बुलाया गया। ऐसे में सरकार पर 45 साल से ऊपर के उम्मीदवारों को एकमुश्त छूट देने के लिए दबाव पड़ा है और इसी कारण मंत्रिमंडल के सामने चर्चा के लिए मामला लाया गया है। 

57 साल में भी मिली है नौकरी

प्रदेश में इससे पूर्व बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया में करीब 57 साल वाले शिक्षक भी भर्ती हुए हैं। वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में भी बहुत से उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है। अब सरकार ऐसे उम्मीदवारों को फिर शिक्षक बनने का मौका देने को तैयार है।

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री आईडी धीमान का कहना है कि मंत्रिमंडल बैठक में बैच वाइज भर्ती के लिए आयु सीमा बढ़ाने संबंधी मामले पर चर्चा होगी। इसकी तरफ से स्वीकृति मिलने के बाद ही ऐसा संभव हो पाएगा(कुलदीप शर्मा,दैनिक भास्कर,शिमला,15.12.11)।

मध्यप्रदेशः यूनिवर्सिटी केवल परीक्षा कराने के लिए नहीं

Posted: 14 Dec 2011 10:25 PM PST

हमने सिर्फ परीक्षा कराने के लिए यूनिवर्सिटी नहीं खोली है। यदि सरकार चाहती है कि प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें तो उसके लिए यह जरूरी होगा कि हमें नियमों में न उलझाया जाए। सरकार के कई विभाग हमें वैसे ही पचा नहीं पा रहे हैं। यह मुद्दा प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेग्यूलेटरी कमीशन द्वारा आयोजित बैठक में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलपतियों ने उठाया।

राजधानी के एक्सीलेंस कॉलेज में बुधवार को प्रदेश की नौ प्राइवेट यूनिवर्सिटी की बैठक आयोजित की गई। इसमें संबंधित कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी सहित कमीशन के सदस्य मौजूद थे। बैठक का मकसद सत्र 2012-13 में इन यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया और फीस निर्धारित करना था। बैठक में यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों ने खुलकर अपनी बात रखी।


सभी ने एकमत होकर कहा कि उन्हें ज्यादा नियमों में न उलझाते हुए आगे बढ़ने का मौका दिया जाए। प्राइवेट यूनिवर्सिटी को संचालित करना वैसे ही आसान नहीं, इसलिए उनके लिए आसान दिशा-निर्देश बनाए जाएं। आयोग, सरकार के सामने उनका मजबूती से पक्ष रखे, ताकि उनकी समस्याओं का हल आसानी से हो सके।
हमें नियमों में न उलझाए सरकार

यदि सरकार प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहती है तो हमें नियमों में उलझाने के बजाय उसे हमारा साथ देना चाहिए। करोड़ों की लागत से प्राइवेट यूनिवर्सिटी सिर्फ परीक्षा कराने के लिए नहीं खोली है। सरकार को जबरन कोई नियम लागू नहीं करना चाहिए। यदि सरकार चाहती है कि हम ग्रामीण क्षेत्र में छात्रों को कम फीस में शिक्षा दें तो उसके लिए हमें सुविधाएं भी देनी होगी।

- डॉ. अनिल तिवारी, स्वामी विवेकानंद प्राइवेट यूनिवर्सिटी

हमने चार सौ करोड़ रुपए लगाकर यूनिवर्सिटी शुरू की है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम इसका पूरा पैसा छात्रों से वसूल लें। यदि हम यह पैसा छात्रों से वसूलने की कोशिश करेंगे तो छात्र एडमिशन ही नहीं लेंगे। हम चाहते हैं कि फीस ऐसी निर्धारित की जाए, जिसे छात्र वहन कर सकें। आयोग को हमारा पक्ष मजबूती से सरकार के सामने रखना होगा।

- आरके पांडे, आईटीएम, ग्वालियर

कमीशन प्राइवेट यूनिवर्सिटी संचालकों के साथ है। हम नहीं चाहते कि उन्हें ज्यादा नियमों में उलझाया जाए, वर्ना इनका हाल भी हमारे प्रदेश की सरकारी यूनिवर्सिटी जैसा हो जाएगा। एडमिशन प्रक्रिया और फीस मार्च के पहले तय कर ली जाएगी।

- डॉ. पीके शुक्ला, सदस्य, रेग्यूलेटरी कमीशन(दैनिक भास्कर,भोपाल,15.12.11)

राजस्थान में पदोन्नति में आरक्षण मामला:हाईकोर्ट ने कहा, राज्य सरकार बताए एससी/एसटी वर्ग के कितने अधिकारी?

Posted: 14 Dec 2011 10:23 PM PST

पदोन्नति में आरक्षण मामले में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को उनकी पुन: अर्जित वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गुरुवार तक यह बताने के लिए कहा है कि सरकारी सेवाओं में एससी/एसटी वर्ग के कितने अधिकारी हैं।

मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के.जैन प्रथम की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को समता आंदोलन समिति व अन्य की अवमानना याचिका पर दिए।


राज्य सरकार के महाधिवक्ता जी.एस.बापना ने बताया कि अदालत ने भटनागर कमेटी के आधार पर सरकारी सेवाओं में 1997 से 2010 तक के बीच में एससी/एसटी वर्ग के प्रतिनिधित्व आंकड़ों को पेश करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत में राज्य सरकार ने कहा था कि उन्होंने अदालती आदेश की अवमानना नहीं की है और यदि किसी को आपत्ति है तो वह सितंबर 2011 की नई अधिसूचना को नई याचिका में चुनौती दे।जबकि प्रार्थी पक्ष की दलील थी कि राज्य सरकार अदालती आदेश का पालन नहीं कर रही है और यह अवमानना है। 

गौरतलब है कि अवमानना याचिका में 5 फरवरी 2010 के अदालती आदेश का पालन नहीं करने को चुनौती दी है। इस आदेश से हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की 28 दिसंबर 02 एवं 25 अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को संविधान के विपरीत मानते हुए निरस्त कर दिया था। 

साथ ही आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता लाभ के आदेश सहित अन्य कार्रवाई निरस्त कर दी थी, लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया और 11 सितंबर 11 की अधिसूचना से दिसंबर 02 व अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को वापस ले लिया और सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सेवा नियमों में संशोधन कर दिया(दैनिक भास्कर,जयपुर,15.12.11)।

डीयू के फर्जी दाखिले में और चार गिरफ्तार

Posted: 14 Dec 2011 10:18 PM PST

डीयू में फर्जी दाखिला मामले में पुलिस ने चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। चारों डीयू के पूर्व छात्र बताए जा रहे हैं। जिनकी पहचान नरेश ताऊ, रोहित लांबा, कुलदीप व एमएस सिट्टा के रूप में हुई है। सभी की उम्र 25 वर्ष के करीब बतायी जा रही है। आरोपी नरेश ताऊ व रोहित लांबा काफी समय से इस तरह के फर्जीवाडे़ में लिप्त बताए जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार नरेश ने 20 तथा रोहित ने सात दाखिले फर्जी मार्कशीट के आधार पर कराए थे। वहीं कुलदीप व एमएस सिट्टा भी अपने संपर्कों से कुछ फर्जी दाखिले कराने में संलिप्त हैं। हालांकि पुलिस मामले के मास्टर माइंड की तलाश कर रही है। डीसीपी आइबी रानी ने बताया कि यह लोग दाखिले के लिए छात्रों से दो से सात लाख रुपये लेते थे। डीयू के रामजस कालेज में कई छात्रों ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर दाखिला लिया था। कॉलेज प्रशासन से शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने स्नातक प्रथम वर्ष के 28 तथा द्वितीय वर्ष के पांच छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु की थी। जांच में दोषी पाए जाने पर 12 दिसंबर को श्री राम कालेज आफ कामर्स में बीकॉम तृतीय वर्ष के छात्र साहिल सहित रामजस कालेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष के छात्र मुकुल और एक पूर्व छात्र संचित दहिया व एक साइबर कैफे के संचालक सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को पुलिस ने फर्जी मार्कशीट पर दाखिला दिलाने में चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह सभी आरोपी नरेश ताऊ, रोहित लांबा, कुलदीप तथा एमएस सिट्टा डीयू के पूर्व छात्र हैं। नरेश ताऊ सन 2007 में रामजस कालेज का छात्र था। लेकिन वह बीच में ही पढ़ाई छोड़ होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने लगा था। तीन वर्ष में कोर्स पूरा करने के बाद उसने कमला नगर में नाइन 57 नाम से रेस्टोरेंट खोल लिया था। बताया जाता है कि कालेज के समय वह खासा दबंग था(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.11)।

दिल्ली सरकार ने फिर कहा, 3 साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल जैसा

Posted: 14 Dec 2011 10:16 PM PST

तीन साल की उम्र में निजी स्कूलों के दो लाख सीटों पर दाखिले लेने वाले बच्चों को स्कूल की पढ़ाई से मुक्ति मिल सकती है। दरअसल नर्सरी दाखिले में उम्र की सीमा को दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को दिल्ली सरकार की ओर से जो जबाव दाखिल किया गया है उसमें सरकार ने गांगुली कमेटी की सिफारिश को मानते हुए सन 2007 को कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे को ही फिर से दोहरा दिया है। हाईकोर्ट के सामने दिल्ली सरकार ने कहा कि 3 साल की उम्र में स्कूलों में होने वाला दाखिला स्कूल की पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। सरकार 4 साल की उम्र से ही स्कूल की पढ़ाई को शुरू करेगी जिसे प्री-प्राइमरी कहा जाता है। इसके बाद बच्चा सीधे पहली कक्षा में आगे चला जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को दिल्ली सरकार के वकील रुचि सिद्धवानी ने शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक शशि कौशल की ओर से तैयार रिपोर्ट को दाखिल किया। जिसमें सरकार ने कहा कि वह स्कूली पढ़ाई के मामले में अपने 2007 के अपने हलफनामे को ही पूरी तरह से ताकीद करते हैं। उन्होंने कहा कि 3 साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल या प्री-नर्सरी कहलाएगा। 4 साल की उम्र में दाखिला स्कूल का हिस्सा होगा और यह प्री-प्राइमरी या नर्सरी कहलाएगा। इसके बाद बच्चा सीधे पहली कक्षा में जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि 3 साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल और प्री-नर्सरी का हिस्सा है तो इसके लिए सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत अलग से दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा हाईकोर्ट जो आदेश देगी उसे मंजूर होगा लेकिन इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसमें निजी स्कूल की ओर से लगाया गया है। याचिका कर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने बुधवार को खुद ही अपनी पुरानी बात मान ली। अब 21 दिसंबर को इस बहस होगी और संभवत: उसी दिन फैसला भी आ जाएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.11)।
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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